कुछ दिनों की बेकरारी, कुछ ही दिनों का रोना था।
आखिर पत्थर दिल को, पत्थरों के साथ ही होना था।।
---------------------------------------------------------------------
कुछ होते हैं काबिल जो शेर सुना करते हैं ,.,
कुछ होते हैं आशिक़ जो ग़ज़ल कहा करते हैं ,.,!!!
---------------------------------------------------------------------
खुले थे दिल के दरवाज़े.. मोहब्बत भी चली गयी !!
---------------------------------------------------------------------
तेरी नफरतों ने आज मेरा जीना आसाँ कर दिया
तेरी मोहब्बत में तो जीना दुश्वार ही था मेरा,.,!!
---------------------------------------------------------------------
सुलझा रहा हूँ एक एक करके सारी उलझनें,
जाने क्या होगा जब इश्क से सामना होगा ..!!!
---------------------------------------------------------------------
कभी जो मिले फुरसत तो बताना ज़रूर ऐ जालिम.....
वो कौनसी मुहब्बत थी, जो हम तुम्हे दे
ना सके...!!!
---------------------------------------------------------------------
ये किसको फिक्र है क़बीले का क्या होगा ??
सब इसपे लड़ रहे हैं के "सरदार कौन होगा ??
---------------------------------------------------------------------
उनकी छत पर गये थे हम कटी हुई पतंग लुटनै
नज़रे मिल गयी उनसै और
वो कहने लगी
'सुनो तुम '
पतंग लुटनै आयै हौ या दिल .....!!!
---------------------------------------------------------------------
ये सारा खेल था जो वक्त के शातिर ने खेला है,
न कुछ उसकी ख़ता है, न कुछ अपनी ख़ता है ..!!!
---------------------------------------------------------------------
माँ..
फिर से मुझे मेरा बस्ता दे दे,.,
के दुनिया का दिया सबक बहुत मुश्किल है ....!!
---------------------------------------------------------------------
ढूंढी हमने खुशबू बोतलों मे कई बार,.,
शायद आज भी नही मिलती बाजार में महक तेरे बालों की,.,!!!
---------------------------------------------------------------------
मुद्दत से उस की छाँव में बैठा नहीं कोई,.,
वो सायादार पेड़ इसी ग़म में मर गया,.,.!!!
---------------------------------------------------------------------
अपने खेतों से बिछड़ने की सज़ा पाता हूँ,.,
अब मैं राशन की क़तारों में नज़र आता हूँ,.,!!!
---------------------------------------------------------------------
ख्वाइश बस इतनी सी हें की तुम मेरे लफ्ज़ो को समजो
आरज़ू ये नहीं की लोग वाह वाह करे.!!
---------------------------------------------------------------------
क्या उस गली में कभी तेरा जाना हुआ,
जहाँ से जमाने को गुजरा जमाना हुआ.....???
---------------------------------------------------------------------
आज़ाद परिंदा बनने का मज़ा ही कुछ और है,
अपने शर्तो पे ज़िन्दगी जीने का नशा ही कुछ और हैं .!!
---------------------------------------------------------------------
राख पर अब उनकी लहराएँ समंदरभी तो क्या..
सो गए जो उम्र भर हसरत लिए बरसात की,.,!!!
---------------------------------------------------------------------
मुझे ऊंचाइयों पे देख कर हैरान हैं बहुत लोग ,.,
पर किसी ने मेरे पैरों के छाले नहीं देखे ,.,!!!
---------------------------------------------------------------------
किस रावण की काटूं बाहें,
किस लंका को आग लगाऊँ,.,
घर घर रावण पग पग लंका,
इतने राम कहाँ से लाऊँ,.,.!!!
---------------------------------------------------------------------
सहारा लेना पड़ता है दरिया का,
मैं कतरा हूँ, अकेले बह नहीं सकता..!!!
---------------------------------------------------------------------
मोहब्बत और नफरत में कोई अंतर नही
तुझे देखता हूँ तो दोनों एक से लगते है ...!!!
---------------------------------------------------------------------
काफ़िर तेरी निगाह ने वोह काम कर दिया
पीने-- लगा- जो ज़हर- उसे जाम कर दिया,.,!!
---------------------------------------------------------------------
वो जहर देता तो सबकी नज़र में आ जाता,.,
फिर यूँ किया उसने कि वक्त पर दवा न दी,.,!!!
---------------------------------------------------------------------
अब आओ कलेजे से लिपट कर मेरे सो जाओ,.,
बाहर कहाँ जाओगे बड़ी सर्द हवा है ,.,.!!!
---------------------------------------------------------------------
फितरत किसी की यूँ ना आजमाया कर..
हर शख्स अपनी हद में लाजवाब होता है...।।!
---------------------------------------------------------------------
बीच सड़क पर क्यु चलती हैं तु पतली कमर लहरा के ,.,
खुद भी मरेगी मुझे भी मरवायेगी मेरी गाड़ी नीचे आके ,.,!!!
---------------------------------------------------------------------
बदल चुके हैं मौहल्ले के सभी कोने,,
मेरे बचपन का आखरी निशां भी गया !!
---------------------------------------------------------------------
फरेबी भी हूँ,जिद्दी भी हूँ,
और पत्थर दिल भी हूँ,
मासूमियत खो दी है मैंने,
वफा करते करते..!!
---------------------------------------------------------------------
तुम मेरे दर्द को मिटा दोगी एक दिन,,
इसी उम्मीद में जख्म संभाले है अब तक,.,!!!
आखिर पत्थर दिल को, पत्थरों के साथ ही होना था।।
---------------------------------------------------------------------
कुछ होते हैं काबिल जो शेर सुना करते हैं ,.,
कुछ होते हैं आशिक़ जो ग़ज़ल कहा करते हैं ,.,!!!
---------------------------------------------------------------------
खुले थे दिल के दरवाज़े.. मोहब्बत भी चली गयी !!
---------------------------------------------------------------------
तेरी नफरतों ने आज मेरा जीना आसाँ कर दिया
तेरी मोहब्बत में तो जीना दुश्वार ही था मेरा,.,!!
---------------------------------------------------------------------
सुलझा रहा हूँ एक एक करके सारी उलझनें,
जाने क्या होगा जब इश्क से सामना होगा ..!!!
---------------------------------------------------------------------
कभी जो मिले फुरसत तो बताना ज़रूर ऐ जालिम.....
वो कौनसी मुहब्बत थी, जो हम तुम्हे दे
ना सके...!!!
---------------------------------------------------------------------
ये किसको फिक्र है क़बीले का क्या होगा ??
सब इसपे लड़ रहे हैं के "सरदार कौन होगा ??
---------------------------------------------------------------------
उनकी छत पर गये थे हम कटी हुई पतंग लुटनै
नज़रे मिल गयी उनसै और
वो कहने लगी
'सुनो तुम '
पतंग लुटनै आयै हौ या दिल .....!!!
---------------------------------------------------------------------
ये सारा खेल था जो वक्त के शातिर ने खेला है,
न कुछ उसकी ख़ता है, न कुछ अपनी ख़ता है ..!!!
---------------------------------------------------------------------
माँ..
फिर से मुझे मेरा बस्ता दे दे,.,
के दुनिया का दिया सबक बहुत मुश्किल है ....!!
---------------------------------------------------------------------
ढूंढी हमने खुशबू बोतलों मे कई बार,.,
शायद आज भी नही मिलती बाजार में महक तेरे बालों की,.,!!!
---------------------------------------------------------------------
मुद्दत से उस की छाँव में बैठा नहीं कोई,.,
वो सायादार पेड़ इसी ग़म में मर गया,.,.!!!
---------------------------------------------------------------------
अपने खेतों से बिछड़ने की सज़ा पाता हूँ,.,
अब मैं राशन की क़तारों में नज़र आता हूँ,.,!!!
---------------------------------------------------------------------
ख्वाइश बस इतनी सी हें की तुम मेरे लफ्ज़ो को समजो
आरज़ू ये नहीं की लोग वाह वाह करे.!!
---------------------------------------------------------------------
क्या उस गली में कभी तेरा जाना हुआ,
जहाँ से जमाने को गुजरा जमाना हुआ.....???
---------------------------------------------------------------------
आज़ाद परिंदा बनने का मज़ा ही कुछ और है,
अपने शर्तो पे ज़िन्दगी जीने का नशा ही कुछ और हैं .!!
---------------------------------------------------------------------
राख पर अब उनकी लहराएँ समंदरभी तो क्या..
सो गए जो उम्र भर हसरत लिए बरसात की,.,!!!
---------------------------------------------------------------------
मुझे ऊंचाइयों पे देख कर हैरान हैं बहुत लोग ,.,
पर किसी ने मेरे पैरों के छाले नहीं देखे ,.,!!!
---------------------------------------------------------------------
किस रावण की काटूं बाहें,
किस लंका को आग लगाऊँ,.,
घर घर रावण पग पग लंका,
इतने राम कहाँ से लाऊँ,.,.!!!
---------------------------------------------------------------------
सहारा लेना पड़ता है दरिया का,
मैं कतरा हूँ, अकेले बह नहीं सकता..!!!
---------------------------------------------------------------------
मोहब्बत और नफरत में कोई अंतर नही
तुझे देखता हूँ तो दोनों एक से लगते है ...!!!
---------------------------------------------------------------------
काफ़िर तेरी निगाह ने वोह काम कर दिया
पीने-- लगा- जो ज़हर- उसे जाम कर दिया,.,!!
---------------------------------------------------------------------
वो जहर देता तो सबकी नज़र में आ जाता,.,
फिर यूँ किया उसने कि वक्त पर दवा न दी,.,!!!
---------------------------------------------------------------------
अब आओ कलेजे से लिपट कर मेरे सो जाओ,.,
बाहर कहाँ जाओगे बड़ी सर्द हवा है ,.,.!!!
---------------------------------------------------------------------
फितरत किसी की यूँ ना आजमाया कर..
हर शख्स अपनी हद में लाजवाब होता है...।।!
---------------------------------------------------------------------
बीच सड़क पर क्यु चलती हैं तु पतली कमर लहरा के ,.,
खुद भी मरेगी मुझे भी मरवायेगी मेरी गाड़ी नीचे आके ,.,!!!
---------------------------------------------------------------------
बदल चुके हैं मौहल्ले के सभी कोने,,
मेरे बचपन का आखरी निशां भी गया !!
---------------------------------------------------------------------
फरेबी भी हूँ,जिद्दी भी हूँ,
और पत्थर दिल भी हूँ,
मासूमियत खो दी है मैंने,
वफा करते करते..!!
---------------------------------------------------------------------
तुम मेरे दर्द को मिटा दोगी एक दिन,,
इसी उम्मीद में जख्म संभाले है अब तक,.,!!!
0 Comments