सवाल यह था की हुस्न-ऐ-यार कैसा है ,.,
जवाब यह है की उसका कोई जवाब नहीं,.,.!!!
Sawal yah hai ki hushn-e-yaar kaisa hai
Jawab yah hai ki uska koi jawab nahi
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तमाम गमों से वो मुझे रुखसत कर गया,.,
वो भी फकत एक गम देकर।।
Tamam gamon se wo mujhe rukhsat kar gaya
Wo bhi fakat ek gam dekar
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थोड़ी थोड़ी ही सही ,कुछ बातें किया करो
चुपचाप से रहते हो तो बड़े बेवफा से लगते हो ,.,!!
Thodi thodi hi sahi, kuchh baten kiya karo
Chupchap se rahte ho to bade bewafa se lagte ho
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जो तेरी ख़ुश्बू में लिपटी ये चिट्ठियां उड़ जाएं,
तमाम शहर में क्या क्या कहानियाँ उड़ जाएं ,.,!!!
Jo teri khushbu me lipati ye chitthiyan ud jayen
Tamam shehar me kya kya kahaniyan ud jayen
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रो धोकर इस शहरे -वफा में काम की इक महबूब मिली
उनकी- इक मुस्कान मिली- तो उसमें शरारत ख़ूब मिली,.,!!!
Ro dhokar is shehar-e-wafa me kaam ki ek mahboob mili
Unki ek muskan mili to usme shararat khoob mili
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अपने गुनाहों पर सौ पर्दे डालकर,
हर शख़्स कहता है,-"ज़माना खराब है "...!!
Apne gunahon par sau parde dal kar
Har shaksh kahta hain jamana kharab hai
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अब जब जलेबी की तरह उलझ ही गई है जिंदगी,
तो फिर क्यूँ न चाशनी में डूबोकर मज़ा ले ही लिया जाए..!!
Ab jab jalebi ki tarah ulajh hi gayi hai jindagi
To fir kyun na chashni me doob kar maja le hi liya jaaye
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कुछ इस अदा से पूछा उसने मेरा मिज़ाज़,
कहना ही पड़ा, शुक्र है परवरदिगार का...!!
Kuchh is adaa se poochha usne mera mijaaj
Kahna hi pada, shukra hai parvardigar ka
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मेरी निगाह-ए-इश्क भी कुछ कम नहीं मगर ,
फिर भी तेरा हुस्न तेरा ही हुस्न है,.,.!!!
Meri nigaah-e-ishq bhi kuchh kam nahi magar
Fir bhi tera husn tera hi husn hai
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अजीब ख्वाहिशों का ज़लज़ला है घर-घर में ,
आजकल किसी के पांव सिमटते ही नहीं हैं चादर में,.,!!!
Ajeeb khwahishon ka jaljala hai ghar ghar me
Aaj kal kisi ke pano simatate hi nahi chadar me
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कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई ,
आओ कहीं शराब पिएँ रात हो गई,.,.!!!!
Kuchh bhi bacha na kahne ko har baat ho gayi
Aao kahi sharab piyen raat ho gayi
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इस तरह बेफिक्र है वो जुल्फे संवार के ,
जैसे सदा रहेंगे जमाने बहार के...!!!
Is tarah befikra hai wo julfen sanwar ke
Jaise sada rahen ge jamane bahar ke
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जो आईने से मिला आईने पे झुंझलाया...
किसी ने अपनी कमी की तरफ नहीं देखा,.!!!
Jo aaine se mila aaine pe jhunjhlaya
Kisi se apni kami ki taraf nahi dekha
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मोहब्बत, इन्तजार, बेबसी, तड़प
इतने कपड़ो में भला ठण्ड लगती है क्या,.,!!
Mohabbat, intejar, bebasi, tadap
Itne kapdo me bhala thand lagti hai kya
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हम वो इंसान नहीं जो दिल पर ख़ंजर खा न सके,
आप बस इतना इमान रखना वार करो तो पीछे से मत करना,.,!!
Ham wo insan nahin jo dil pe khanjar kha na sake
Aap bas itna imaan rakhna war karo to peechhe se mat karna
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राज़ी था मैं भी और मेरा दुश्मन भी सुलह पर
कुछ दोस्तों ने हाथ मिलाने नहीं दिया,.,!!!
Raaji tha main bhi aur mera dushman bhi sulah par
Kuchh doston ne hath milane nahi diya
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नामुराद साँसें भी इस तरह से आ रही है आज,.,
जैसे ज़ख़्मों पे रेशम का रूमाल फेरा जा रहा हो,.,!!
Namurad sanse bhi is tarah se aa rahi hai aaj
Jaise jakhmon pe resham ka rumaal fera ja raha ho
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काट कर जुबा मेरी कह रहे मेरे कातिल..
अब तुमहे हाले दिल सुनाने की इजाजत है..!!!
Kaat kar juban meri kah rahe mere kaatil
Ab tumhe hal-e-dil sunane ki ijajat hai
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कोहराम मचा रखा है मेरी सर्द आहों ने....
तेरे दिल का मौसम है जो बदलने का नाम नहीं लेता...!!!
Kohram macha rakha hai meri sard aahon ne
Tere dil ka mausham hai jo badalne ka nam nahi leta
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हाथ का मजहब नही देखते परिंदे
जो भी दाना देदे खुशी से खा लेते है...!
Haath ka majhab nahi dekhte parinde
Jo bhi dana de de khushi se kha lete hain
जवाब यह है की उसका कोई जवाब नहीं,.,.!!!
Sawal yah hai ki hushn-e-yaar kaisa hai
Jawab yah hai ki uska koi jawab nahi
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तमाम गमों से वो मुझे रुखसत कर गया,.,
वो भी फकत एक गम देकर।।
Tamam gamon se wo mujhe rukhsat kar gaya
Wo bhi fakat ek gam dekar
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थोड़ी थोड़ी ही सही ,कुछ बातें किया करो
चुपचाप से रहते हो तो बड़े बेवफा से लगते हो ,.,!!
Thodi thodi hi sahi, kuchh baten kiya karo
Chupchap se rahte ho to bade bewafa se lagte ho
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जो तेरी ख़ुश्बू में लिपटी ये चिट्ठियां उड़ जाएं,
तमाम शहर में क्या क्या कहानियाँ उड़ जाएं ,.,!!!
Jo teri khushbu me lipati ye chitthiyan ud jayen
Tamam shehar me kya kya kahaniyan ud jayen
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रो धोकर इस शहरे -वफा में काम की इक महबूब मिली
उनकी- इक मुस्कान मिली- तो उसमें शरारत ख़ूब मिली,.,!!!
Ro dhokar is shehar-e-wafa me kaam ki ek mahboob mili
Unki ek muskan mili to usme shararat khoob mili
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अपने गुनाहों पर सौ पर्दे डालकर,
हर शख़्स कहता है,-"ज़माना खराब है "...!!
Apne gunahon par sau parde dal kar
Har shaksh kahta hain jamana kharab hai
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अब जब जलेबी की तरह उलझ ही गई है जिंदगी,
तो फिर क्यूँ न चाशनी में डूबोकर मज़ा ले ही लिया जाए..!!
Ab jab jalebi ki tarah ulajh hi gayi hai jindagi
To fir kyun na chashni me doob kar maja le hi liya jaaye
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कुछ इस अदा से पूछा उसने मेरा मिज़ाज़,
कहना ही पड़ा, शुक्र है परवरदिगार का...!!
Kuchh is adaa se poochha usne mera mijaaj
Kahna hi pada, shukra hai parvardigar ka
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मेरी निगाह-ए-इश्क भी कुछ कम नहीं मगर ,
फिर भी तेरा हुस्न तेरा ही हुस्न है,.,.!!!
Meri nigaah-e-ishq bhi kuchh kam nahi magar
Fir bhi tera husn tera hi husn hai
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अजीब ख्वाहिशों का ज़लज़ला है घर-घर में ,
आजकल किसी के पांव सिमटते ही नहीं हैं चादर में,.,!!!
Ajeeb khwahishon ka jaljala hai ghar ghar me
Aaj kal kisi ke pano simatate hi nahi chadar me
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कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई ,
आओ कहीं शराब पिएँ रात हो गई,.,.!!!!
Kuchh bhi bacha na kahne ko har baat ho gayi
Aao kahi sharab piyen raat ho gayi
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इस तरह बेफिक्र है वो जुल्फे संवार के ,
जैसे सदा रहेंगे जमाने बहार के...!!!
Is tarah befikra hai wo julfen sanwar ke
Jaise sada rahen ge jamane bahar ke
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जो आईने से मिला आईने पे झुंझलाया...
किसी ने अपनी कमी की तरफ नहीं देखा,.!!!
Jo aaine se mila aaine pe jhunjhlaya
Kisi se apni kami ki taraf nahi dekha
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मोहब्बत, इन्तजार, बेबसी, तड़प
इतने कपड़ो में भला ठण्ड लगती है क्या,.,!!
Mohabbat, intejar, bebasi, tadap
Itne kapdo me bhala thand lagti hai kya
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हम वो इंसान नहीं जो दिल पर ख़ंजर खा न सके,
आप बस इतना इमान रखना वार करो तो पीछे से मत करना,.,!!
Ham wo insan nahin jo dil pe khanjar kha na sake
Aap bas itna imaan rakhna war karo to peechhe se mat karna
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राज़ी था मैं भी और मेरा दुश्मन भी सुलह पर
कुछ दोस्तों ने हाथ मिलाने नहीं दिया,.,!!!
Raaji tha main bhi aur mera dushman bhi sulah par
Kuchh doston ne hath milane nahi diya
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नामुराद साँसें भी इस तरह से आ रही है आज,.,
जैसे ज़ख़्मों पे रेशम का रूमाल फेरा जा रहा हो,.,!!
Namurad sanse bhi is tarah se aa rahi hai aaj
Jaise jakhmon pe resham ka rumaal fera ja raha ho
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काट कर जुबा मेरी कह रहे मेरे कातिल..
अब तुमहे हाले दिल सुनाने की इजाजत है..!!!
Kaat kar juban meri kah rahe mere kaatil
Ab tumhe hal-e-dil sunane ki ijajat hai
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कोहराम मचा रखा है मेरी सर्द आहों ने....
तेरे दिल का मौसम है जो बदलने का नाम नहीं लेता...!!!
Kohram macha rakha hai meri sard aahon ne
Tere dil ka mausham hai jo badalne ka nam nahi leta
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हाथ का मजहब नही देखते परिंदे
जो भी दाना देदे खुशी से खा लेते है...!
Haath ka majhab nahi dekhte parinde
Jo bhi dana de de khushi se kha lete hain
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