इन बादलो का मिजाज, मेरे महबूब सा है,
कभी टूट कर बरसते है, कभी बेरुखी से गुजर जाते हैं...!!!
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दिल खींच कर अपना तेरे पहलू में रख दिया ,
क्या इतना कम है मोहब्बत की इंतिहा के लिये,.,!!!
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होंठ तप-तप के ऐसे सुर्ख़ हुए दिखते हैं
शरारे रख दिए हों जलती हुई अंगीठी से..!!
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मोहब्बत क्या है चलो दो लब्ज़ों में बताते है
तेरा मजबूर करना मेरा मजबूर हो जाना..!!
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हमने लिया सिर्फ होंठों से जो तेरा नाम
दिल होंठो से उलझ पड़ा कि ये सिर्फ मेरा है..!!!
अपने होंठों से मुझको चख तो जरा
मैं भी शायद शराब हो जाऊँ,.,!!!
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होठों से लगाकर पी जाऊ तुम्हे.,.,
सर से पाँव तक शराब जैसी हो तुम.,.,.,!!!
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लाल आँखे और होंठ शबनमी ,.,
पी के आये हो या खुद शराब हो ,.,!!!
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होंठ मिला दिए उसने मेरे होंठो से यह कह कर.,.,
अगर शराब छोड़ दोंगे तो ये जाम रोज मिलेगा..!!!
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उसके होंठों को चूमा तो अहसास ये हुआ..
एक पानी ही ज़रूरी नहीं प्यास बुझाने के लिए.,..,!!!!
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है होंठ उसके किताबों में लिखी तहरीरों जैसे..,.!!
ऊँगली रखो तो आगे पढने को जी करता है.,..!!
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