अगर मौत के बाद भी कोई ज़िंदगी होती होगी...
तो उसी राह पर मिलूंगा इंतज़ार करता हुआ.....
वो एक अदा थी जिसपर मैं कहानियाँ लिखा करता था...
उसे कहना वो अपना ख्याल रखे...
जो हुआ सो हुआ अब ना वो दिल पर कोई मलाल रखे...
#अलविदा
कोई सजाता होगा खुद को दुल्हन की तरह आज...
कोई काजल, कोई कंगना, कोई दुपट्टा तड़प रहा होगा....
तेरी यादें, तेरी बांते, तेरी उम्मीद पे घायल...
आज कोई तश्वीर से बे तहाशा लिपट रहा होगा......
एक लड़का किसी लड़की से बहुत प्यार करता था। लड़का गरीब था जबकि लड़की के ख्वाबों में एक सजीला अमीर राजकुमार था। गरीब लड़के ने एक रोज़ लड़की के सामने शादी का प्रस्ताव रखा। लड़की ने पहले तो टालमटोल की मगर फिर कहा -तुम समंदर किनारे एक आलीशान घर बना लो, अच्छी सी महंगी कार खरीद लो, नौकर-चाकर रख लो.. तब आना, मैं तुमसे शादी कर लूंगी.. फिर चाहे मुझे इसके लिए कभी तक भी इंतज़ार करना पड़े। लड़का खुश हुआ.. शर्तों को पूरा करके शादी करने की एक उम्मीद दिखाई दी। उस शाम ही लड़के ने शर्त पूरी करने के लिए शहर छोड़ दिया। लड़की ने भी कुछ महीने बाद उस लड़के को भुला दिया और अपनी पसंद के किसी अमीर लड़के से शादी कर ली। सालों गुज़रते गए.. लड़की ने उस लड़के को पूरी तरह भुला दिया। फिर एक शाम वो अपनी शानदार कोठी की बालकनी में खड़ी थी। वही गरीब लड़का उसका पता पूछता हुआ कोठी के सामने जा पहुंचा। वो अपनी शानदार कार में से उतरा। लड़की ने पहचान लिया तो उसके पास चली आई। लड़का सब पहले ही जान चुका था। उसके चेहरे पर उदासी और आंखों में आंसू थे। लड़की अपराधबोध में जड़ खड़ी रही। उसे उम्मीद थी कि लड़का उसे भलाबुरा ज़रूर कहेगा। कुछ मिनट खड़े रहने के बाद लड़के ने मुस्कुरा कर इतना ही कहा- मुझे मालूम था कि तुम मुझे बहुत प्यार करती हो... इसीलिए चाहती थी ना कि मैं मेहनत करके अमीर आदमी बन जाऊंं...
इतना भर कहकर वो चला गया। लड़की हैरत से खड़ी रह गई। सच यही है कि अगर आप किसी से मुहब्बत करते हैं तो नफरत करने की लाख वजहों के बावजूद मुहब्बत करते रहने की एक वजह ढूंढ ही निकालते हैं....
तुम्हारे लिखे हुए उन खतों के गुलाबी हर्फ़ अब पीले पड़ने लगे हैं.... अब उनमें वो नरमी भी नहीँ वक़्त की मार ने उनको भी सख्त कर दिया है.....
एक पूरा लिखा अधूरा प्रेमपत्र आज भी किताबों के बीच पड़ा हैं जिसे पूरा होने के लिए बस उसके हाथों तक पहुँचना था.....
मैं छुप छुप के तुम्हे देखने की वो आदत नही भूला…
भीगी सी तुम जब स्कूल से लौटती थी वो सावन नही भूला…
जब चाहती थी तुम मुझे अपने खिलौनों से ज़्यादा…
मैं अब तक वो नादान सा बचपन नही भूला…
तुम भूल गई हो शायद वो खाली पड़ा पुराना मकान मुहल्ले का…
मगर जहां तुम मोरनी बन नाचती थी मैं वो आंगन नही भूला…
एक बार याद है ज़िद तुमने एक अजीब सी पकड़ी थी…
मैं तुम्हारी खुशी के लिये लिस पर चढ़ते हुये गिरा था वो जामुन नही भूला…
दुआ करता रहा के वो आंखें फिर ना कभी बरसें…
मगर मैं वो आखरी मुलाकात में तुम्हारे बरसते हुये नयन नही भूला…
तुम्हे अब याद हो ना हो मगर मै वो नादान बचपन नही भूला…
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