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Rui ka gadda bech kar, Maine ek dari khareed li (रुई का गद्दा बेच कर मैंने, इक दरी खरीद ली)



रुई का गद्दा बेच कर मैंने, इक दरी खरीद ली,
ख्वाहिशों को कुछ कम किया मैंने, और ख़ुशी खरीद ली !!

सबने ख़रीदा सोना मैने इक सुई खरीद ली,
सपनो को बुनने जितनी डोरी ख़रीद ली !!



मेरी एक खवाहिश मुझसे ,मेरे दोस्त ने खरीद ली,
फिर उसकी हंसी से मैंने, अपनी कुछ और ख़ुशी खरीद ली !!


इस ज़माने से सौदा कर, एक ज़िन्दगी खरीद ली,
दिनों को बेचा और, शामें खरीद ली !!


शौक-ए-ज़िन्दगी कमतर से और कुछ कम किये,
फ़िर सस्ते में ही "सुकून-ए-ज़िंदगी" खरीद ली,.,!!!


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Rui ka gaddda bech kar maine , ek dari khreed li
Khwaishon ko kuchh kam kiya maine aur khushi khareed li

Sabne khreeda sona maine ek sui khareed li
Sapno ko bunne jitni dori khareed li

Meri ek khwaish mujhse , mere dost ne khareed li
Fir uski hansi se maine, apni kuchh ur khushi khareed li

Is jamane se sauda kar , ek jindagi khareed li
Dino ko becha aur shame khareed li

Shauk-e-jindagi kamtar se aur kuchh kam kiye
Fir saste me hi sukoon-e-jindagi khareed li

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1 Comments

  1. महोदय – आपने ये कविता मेरे ब्लॉग से कॉपी की हैं।
    कृपया इस तरह से किसी की रचना प्रकाशित करने से पहले अनुमति ले।
    और अनुमति ना भी ले तो इसे लेखक के नाम के साथ प्रकाशित करे और ओरिजिनल वेबसाइट की पूरी लिंक दे।
    कविता की ओरिजिनल लिंक -https://baramdekidhoop.wordpress.com/2013/06/15/%E0%A4%96%E0%A4%BC%E0%A5%81%E0%A4%B6%E0%A5%80/

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