Irfan Siddiqui [1939-2004] never cared about publicity and rarely attended mushairas but by mid-eighties, he had become a leading poetic voice in the sub-continent.
Legendary critic-poet SR Faruqi has rightly said, 'reading Irfan Siddiqui's couplets, one feels amazed that poetry of such a high standard was being written in this era'.
Read his ghazal:
सुखन में रंग तुम्हारे ख़याल ही के तो हैं
ये सब करिश्मे हवा-ए-विसाल ही के तो हैं
कहा था तुमने कि लाता है कौन इश्क की ताब
सो हम जवाब तुम्हारे सवाल ही के तो हैं
ज़रा सी बात है दिल में अगर बयान हो जाए
तमाम मसले इज़हार-ए-हाल ही के तो हैं
हवा की ज़द पे हमारा सफ़र है कितनी देर
चिराग़ हम किसी शाम-ए-ज़वाल* ही के तो हैं
[*zavaal=decay, fall, decline]
यहाँ भी इसके सिवा और क्या नसीब हमें
ख़तन में रह के भी चश्म-ए-गिज़ाल ही के तो हैं
इरफ़ान सिददीकी
Now read the Roman Transliteration:
Legendary critic-poet SR Faruqi has rightly said, 'reading Irfan Siddiqui's couplets, one feels amazed that poetry of such a high standard was being written in this era'.
Read his ghazal:
सुखन में रंग तुम्हारे ख़याल ही के तो हैं
ये सब करिश्मे हवा-ए-विसाल ही के तो हैं
कहा था तुमने कि लाता है कौन इश्क की ताब
सो हम जवाब तुम्हारे सवाल ही के तो हैं
ज़रा सी बात है दिल में अगर बयान हो जाए
तमाम मसले इज़हार-ए-हाल ही के तो हैं
हवा की ज़द पे हमारा सफ़र है कितनी देर
चिराग़ हम किसी शाम-ए-ज़वाल* ही के तो हैं
[*zavaal=decay, fall, decline]
यहाँ भी इसके सिवा और क्या नसीब हमें
ख़तन में रह के भी चश्म-ए-गिज़ाल ही के तो हैं
इरफ़ान सिददीकी
Now read the Roman Transliteration:
sukhan mein rang tumhaare khayaal hii ke to haiN
ye sab karishme, hawaa-e-visaal hii ke to haiN
kahaa tha tum ne ki laataa hai kaun ishq kii taab
so hum jawaab, tumhaare sawaal hii ke to haiN
zara si baat hai dil mein, agar bayaaN ho jaaye
tamaam masle, izhaar-e-haal hii ke to haiN
haawaa ki zad pe hamara safar hai kitni der
Chiraagh hum kisi shaam-e-zawaal hi ke to haiN
yahaaN bhii is ke siwa aur kya naseeb hameN
Khatan meN rah ke bhi chashm-e-ghizaal hii ke to haiN
Irfan Siddiqui
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